माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी को समर्पित " वोट की चोट देखी थी नोट की देखता हूँ वाह रे राष्ट्र् भक्त तेरी चाल अलग देखता हूँ। दुआ बददुआ लेते तेरी थाल अलग देखता हूँ ओ मेरे राष्ट्र् भक्त तेरी चाल अलग देखता हूँ। बैठे हुए थे जो ठण्ड की कयास लगते देखता उनको गले की प्यास बुझाते शीत में मै लोगों को बिस्तर फाड़ते देखता हूँ वाह रे राष्ट्रभक्त तेरी बात अलग देखता हूँ। " - अनु
मेरे नज़र से कविता की क्या रुपरेखा है ये आगे की पँक्तियों में प्रस्तुत है। "मन की बातें कागज पर लाती है, कविता कुरूप को भी सुन्दर दिखाती है, कविता दुनिया को समेट लेती है, कविता हम को हमी से मिलाती है, कविता कल्पना और वास्तविकता की नींव पर खड़ी है, कविता इसलिए सबसे सुन्दर है, कविता।"
शुप्रभात मै आप सबको कविता की तड़प दिखाना चाहता की वो सबके सामने क्यों आना चाहती है जो मेने नीचे लिखा है, धन्यवाद। "डायरी में पड़े पड़े कविता उबसाती है ये बात अपनी जनता से कहना चाहती है ये सब्दो के शिखर बनती है राह दो, मेरी आह से कविता आती है।"