सर्द
लगता है बादलों का आसमान से मन भर आया इसलिए, उन्होंने धरती का रुख अपनाया आज जब मैने द्वार खोला सर्द हवा ने मुझ पर हमला बोला शरीर मेरा शिथिल हो गया कुछ पल के लिये मैं सुध-बुध खो गया मुझे न जाने क्या ख्याल आया? खुद को बंद कर मैं सफर करने निकल आया मैने देखा, धुंध ने इस धरा को घेर लिया अब सर्द ने पैर पसारना शुरू किया। इस सर्द से सब लोग खुश हो रहे खुश दिल से इसका स्वागत कर रहे। लेकिन, ये सर्द कुछ लोगों पर भारी पड़ रही इसलिये, हर ओर आग और बीड़ी जल रही। हर ओर सर्द के आने की ख़ुशी बढ़ रही क्योंकि, ये मौसम को रंगीन कर रही। इस सर्द की बात भी अजब निराली है दोस्त तो है, बढ़ जाए तो दुश्मन भी प्यारी है। किसान और युवाओं की दोस्त है लेकिन, दुश्मन बुजुर्गों की फिर भी इसके आने की चिंता हर किसी को होती।