मैंने लोगों को रुकते देखा है
मैंने लोगों को रुकते देखा है, उम्र के पड़ाव पर झुकते देखा है। दहाड़ते थे जो सिंहो की तरह, उन लोगों को मैने छुपते देखा। कभी कुछ खास थे वे किसी की आस थे वे उन लोगों को मैने संभलते देखा है, मैंने लोगों को रुकते देखा है। - Anurodh