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नवंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मौसम

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मौसम का फितूर देख चढा एक फितूर हम पर भी न चाहते हुए आ गए हम भी धुंध को देख न माना दिल मौसम का मजा लेने, आ गए हम भी | (अनु) 

मुहब्बत

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मुहब्बत लिखता हूँ,  पर की नहीं मुहब्बत मैने कभी मुहब्बत पढता हूँ, पर जी नहीं मुहब्बत मैने कभी मिलते हैं हंसो के जोड़े राहों में कोई बताऐ यही होती है मुहब्बत क्योंकि की नहीं मुहब्बत मैने अभी| (अनु)