अखबार 📰 वाला

जी हुजूर मैं अखबार डालता हूँ|
शब्दों का जाल डालता हूँ ,
मद्धिम सी गाडी से ,
एक नया सवाल डालता हूँ ,
जी हाँ मैं बवाल डालता हूँ,
जी हुजूर मैं अखबार डालता हूँ |
शब्दों की गश्ती को,
हर द्वार डालता हूँ,
पूरी दुनिया को हवा में उछालता हूँ,
हर आह को सरेराह डालता हूँ,
जी हुजूर मैं अखबार डालता हूँ|
राजा, रंक सब मेरे नीचे से जाते,
अपनी बात आमजन तक पहुंचाते ,
मैं बस उनका सुलभ संप्रेषण कराता हूँ,
जी मैं तो बस अखबार डालता हूँ|
पहले-पहल मुझे शर्म लगी,
फिर मुझे अक्ल लगी,
मैं तो समाज सेवियों की सेवा करता हूँ ,
बिन लालच नींद अपनी कुर्बान करता हूँ ,
मैं उनका वोट बैंक बढाता हूँ ,
जी मैं तो बस अखबार डालता हूँ|
(अनु)

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
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