Baat kavita ki
शुप्रभात मै आप सबको कविता की तड़प दिखाना चाहता की वो सबके सामने क्यों आना चाहती है जो मेने नीचे लिखा है, धन्यवाद।
"डायरी में पड़े पड़े कविता उबसाती है
ये बात अपनी जनता से कहना चाहती है
ये सब्दो के शिखर बनती है
राह दो, मेरी आह से कविता आती है।"
"डायरी में पड़े पड़े कविता उबसाती है
ये बात अपनी जनता से कहना चाहती है
ये सब्दो के शिखर बनती है
राह दो, मेरी आह से कविता आती है।"
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