Ek khayal


मेरे ख्याल कभी कभी हक़ीक़त लगते हैं,मेरी जरूरत का जिक्र करते हैं लगता है ये ही मेरे अपने हैं, बाकि दुनिया में तो सब गैर लगते हैं।

उस रात शायद मैं रास्ता नाप रहा था कान में earphone थे  एक romantic song बज रहा था पता नहीं मैं पिछले पल कहाँ था और कहाँ जा रहा हूँ बस मस्ती चढ़ी थी Song इतना romantic था की खुद में किसी movie का कोई हीरो समझ रहा था बहुत ही action में चल रहा था... अचानक बचपन याद आगया श्री कृष्ण का role play करता था मैं, पर कभी कृष्ण बन नहीं पाउँगा। वैसे India में romance को openly उन्होंने ने ही शुरू किया था। Song सुनते सुनते ख्याल आया कोई होता साथ में तो रास्ता कट जाता शायद कोई plan बन जाता कहीं घुमने का या कुछ खाने का।

अक्सर हम अकेले में खुद से बातें करते हैं और एक ख्याल बनाते है, वो ख्याल होता है किसी चाहत का क्योंकी हम चाहे लाख कहें की परवाह हमें सबकी है लेकिन पहले हम अक्सर अपने बारे में सोचते हैं। महाभारत में भी कौरवों की मृत्यु के बाद उनकी माँ के आँसू तब रुक गए थे जब उन्हें भूख लगी थी तब वो शायद भूल गयीं थी की उनके घर सौ लाशें बिछी हैं...

मेरा song रुक गया अचानक से, Mobile की battery  खत्म होगयी लेकिन रास्ता खत्म नहीं हुआ। लगता है किसी ने मुझे फालतू समझ कोई बड़ा काम दे दिया, जिसके लिए काफी लम्बा चलना पड़ रहा, अरे, एक गाड़ी तो दे देते मै बहुत तेज़ चिल्लाया लेकिन, मेरे दोनों होंठ चिपके थे, ये मेरा अंतर्मन अंदर ही अंदर चिल्लाया था जिसकी आवाज मैने खुद के अलावा किसी और को नहीं सुनने दी वैसे कोई सुन भी नहीं पाता क्योंकि सड़क भी काफी शांत थी, शायद कुछ सोच रही होगी। अब मेरे पास entertainment के लिए  भी कुछ नहीं था तो मेरे ख्याल भी चरम सीमा पर पहुंच गये सच में तब पता चला की खाली दिमाग शैतान का घर होता है, मेरे खाली दिमाग ने भी मेरे गंगा से भी पवित्र ख्यालों की नदी में डुबकी लगा के गन्दा करना शुरू किया मेरा पहला ख्याल जल्दी से अच्छी जॉब मिल जाये, पापा की death के बाद घर मेरा हो जायेगा लेकिन, क्या होगा अगर दीदी ने या छोटी बहन ने हिस्सा मांग लिया, अच्छा है कोई भाई नहीं है मेरा, घर बेच के किसी और जगह घर ले लूंगा, अरे याररररर बहुत बोर हो रहा हूँ कोई मिल जाये साथ का, कैसा हो अगर कोई लड़की मिल जाये। ये  सभी मेरे ख्याल थे उस वक्त किसी bullet train से भी तेज़ आये थे ये।

"excuse me" मैं अपने ख्यालों में था तभी एक आवाज आयी।  बहुत मीठी थी वो आवाज, ऐसा नहीं है की वो कोई अप्सरा थी जिसको देखते ही मुझे पहली नज़र का प्यार हो गया हो, मीठी आवाज इसलिए बोला क्योंकि सभी Writer किसी लड़की को ऐसे ही Introduce करवाते हैं शायद मैने भी उनको टक्कर देने के लिए ऐसा बोला, मेरी Writing के way में शायद आपको jealousy दिख जाये तो ये सोचने में बिलकुल संकोच ना करें की writer selfish है, क्योंकि आप भी कहीं न कहीं हैं और फिर हम इंसान हैं। 

हां, तो मैं  लड़की के बारे में बात कर रहा था उसने मुझे अपनी बांसुरी जैसी आवाज में बुलाया था तो हम भी पीछे कहाँ थे हमारे पास भी Instrument है हमने भी अपने तंबूरे जैसी आवाज में reply किया "जी", वो लड़की वैसे थी बहुत मासूम, चेहरा देख कर अंदाजा लगाया फिर मैंने ऊपर से नीचे तक उसे देखा और भगवान को शुक्राना दिया। आदत है हमारी, अच्छा हो या बुरा अगर काम हमारे मुताबिक होता है तो हम भगवान को शुक्राना देते हैं। "आप कहां तक जा रहे हैं" उसने पूछा, वो सहमी हुई थी, उसके माथे पर पसीना था, होंठ सूखे थे और हाथों के पंजे एक दूसरे को पकडे हुए थे।

"बस यहीं पास तक" मेरा जवाब था , कहतें हैं अपने आँख और कान को कभी आराम नहीं देना चाहिए दोनों चलते रहने चाहिये, लेकिन मेरे कल्पना के घोड़े मेरे दिल की धड़कन से दुगने रफ़्तार से दौड़ रहे थे और उसके मुलायम हाथ को देख के उनको पकड़ने की इच्छा मन में हुई, लेकिन में अपनी इच्छा को साकार नहीं कर पाया क्योंकि मुझे वो बात याद आगयी जो अक्सर social media पर कई बार share की थी "अकेली लड़की मौका नहीं, जिम्मेदारी है" और फिर सोचा पाप कर दिया क्योंकि,   गीता के मुताबिक अगर आपने पाप करने के बारे में सोचा है तब भी आप पाप करने वाले के बराबर पापी हो। लेकिन मैंने क्या किया, ये तो मेरे हॉर्मोन्स की गलती है और फिर भगवान ने ही तो ये हॉर्मोन्स बनाये हैं तो ये भगवान की गलती है। खुद की गलती कभी ना मांनने वाले Human Nature को ध्यान में रखते हुए मेने उस गलती को चुपके से अपने पाप के घड़े में से निकाल के भगवान के घड़े में डाल दिया।

"सड़क कुछ ज्यादा ही खाली है जिस कारण मुझे अकेले जाने में डर लग रहा है, क्या आप मुझे आगे तक छोड़ देंगे?" उसने मुझसे पूछा, "जी बिलकुल" सराफत का एक और नक़ाब  पहन कर मैने उसको शैतानी मुस्कान के साथ जवाब दिया, एक बात मेरे खाली दिमाग को पता चल गयी की लड़की अकेली है। मैं अपने नीच ख्यालों को समेट कर कल्पनों के समुंदर में गोते लगा रहा था तभी आवाज आयी "Thankyou! आप बहुत अच्छे हैं " उसने मुझे शुक्राना दिया, मैं उसका शुक्राना लेकर उसी के खिलाफ उसको तबाह करने की इंटरनेशनल लेवल की प्लानिंग कर रहा था की तभी एक जोरदार हवा का झोंका आया, मेरी नींद खुली, सामने मम्मी खड़ी थी "उठ जा, सुबह हो गयी" मम्मी ने मुझसे बोला..... "देखो फिर एक खबर आ गयी, फिर एक लड़की का रेप हो गया" पापा अखबार पढ़ते हुए बोले.....  "पता नहीं जो ये करते हैं उनकी मानसिकता कैसी होती है, लोगों को अपने ख्यालो को साफ़ करना होगा, तभी ये रुकेंगे" मेरी बड़ी बहन ने चिंतन किया, मैंने फिर एक और नकाब पहना और उसके चिंतन पर सहमति देते हुए वहाँ से चला गया.....

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