ये तो अपशगुन है


 

"अरे इनको कहीं छोड़ के आ जाओ अपशगुन फैलाएंगी यें" मेरी मम्मी ने जोर से चिल्ला कर दीदी को बोला, दीदी ने लगभग रोते हुए बोला "अरे कुछ नहीं होता मम्मी सब अन्धविश्वाश होता है ये तो छोटी बच्चियाँ हैं"

मेरी दीदी बहुत ही इमोशनल है और मुझसे बहुत अलग अगर उससे कोई ऊँची आवाज मे बात कर ले तो वो रो जाती है अगर उसके किसी करीबी को चोट लग जाये तो वो रो जाती है मुझे याद है जब बचपन मे बाइक से jump करते हुए मुझे चोट लग गयी थी और उस हालत मैं घर आया था तो दीदी तो देखते ही रो पड़ी थी अब मैने बाइक से क्यों jump लगायी इसकी बात कभी और करेंगे।

तो कुछ ऐसी है मेरी दीदी हां हमें कभी कभी बहुत गुस्सा आता है उसके ऊपर लेकिन फिर प्यार भी बहुत आता है।

तो हमारे घर थी तीन छोटी बच्चियाँ जिनको मम्मी घर से निकालना चाहती थी क्योंकि मम्मी का मानना था ये अपशगुन फैलाएंगी और दीदी घर मे रखना चाहती थी। वैसे इन तीनों को इनकी माँ ही हमारे घर छोड़ कर गयी थी न जाने किसके सहारे acctully हुआ कुछ ऐसा था एक दिन एक बिल्ली हमारे घर के सामने अपने तीन बच्चों को लेकर आयी और वो कुछ दिनों तक वहीँ अपने बच्चों के साथ सोती रहती और खाती थी लेकिन उसके कुछ दिनों एक रात को बहुत तेज बारिश हो रही थी और उन बिल्ली के बच्चों की बहुत तेज आवाजें आने लगी हम लोगो ने बाहर निकल देखा तो तीनों बच्चे चिल्ला रहे थे और वो बिल्ली नहीं थी वहां पर तो मेरी मम्मी और मेरे चाचू ने बिना कुछ सोच विचार के उनको उठा कर घर के अंदर ले आये "मम्मी अब ये हमारे साथ रहेंगे?" दीदी ने पुछा "नहीं कल सुबह बाहर छोड़ देना" मम्मी ने जवाब दिया और फिर हम सब सो गए अगले दिन जब मै उठा तो मम्मी दीदी को डाट रहीं थी "मै कह रहीं हूँ न बिल्लियों को घर मे रखना शुभ नहीं होता" "अरे कुछ नहीं होता ना मम्मी सब अन्धविश्वाश है, और फिर देखो न कितनी प्यारी हैं" दीदी ने जवाब दिया और फिर एक सबसे छोटी वाली की तरफ इशारा करते हुए बोली "ये तो कहीं रह नहीं पाएगी मम्मी ये तो चल भी नहीं पाती" उन बच्चों मे एक बिल्ली ऐसी थी जिसके जन्म से ही पीछे के दोनों पैर ख़राब थे।

"मैं कुछ नहीं जानती इनको घर से दूर कहीं छोड़ कर आओ अरे अगर मेरे घर मे कुछ हो गया तो कहाँ से करुँगी मैं सोने की बिल्ली का दान" तो मेरी कंजूस मम्मी का ये final अल्टीमेटम था। अब हममें से कोई कुछ नहीं कर सकता था यहाँ तक की पापा भी नहीं मम्मी की बात मान करके मै और मेरे चाचू उन बच्चों को लेकर कॉलोनी के पीछे लेबर की बस्ती मे एक घर के सामने छोड़ आये और घर आकर हमने चैन की सांस ली  अब मम्मी गुस्सा नहीं होंगी घर मे सब खुश थे सिवाय दीदी के "कोई बात नहीं बच्ची है एक दो दिन मे normal हो जाएगी" मम्मी ने दीदी को देख कर बोला।

पर ये सब ऐसे खत्म नहीं होने वाला था शाम को किसी ने हमारी door bell बजायी दीदी ने गेट खोला और जोर से चिल्लायी। हम सब डर कर बाहर भागे और सामने मेरा दोस्त राजीव खड़ा था एक कार्टून बॉक्स लेकर जिसमे थे बिल्ली के वही बच्चे मैने मम्मी को देखा और वो वहीँ बैठ गयीं "वो आंटी लेबर के बच्चे इनको परेशान कर रहे थे मैने अनुरोध को इनको छोड़ते हुए देखा था वापस इसीलिए ले आया अगर इनको कुछ हो गया तो आप लोगो को पाप लगेगा" राजीव ने अपनी सफाई दी "तो अपने घर ले जाता ना" मम्मी ने खीझ कर बोला "अच्छा चलता हूँ आंटी" ये बोल राजीव वहां से चला गया।

"मैं कुछ नहीं जानती अनु इनको कहीं भी छोड़ कर आ लेकिन ये मेरे घर मे नहीं रहेंगी" ये मेरी मम्मी का मुझे आदेश था तो मैंने भी एक अच्छे बच्चे की तरह दीदी से बॉक्स लिया और निकल पड़ा "रुक अनु मैं भी चलूंगी" दीदी ने मुझे रोकते हुए बोला अब हम दोनों निकल गए घर से इनको छोड़ने। बहुत सी जगह देख कर फाइनली हमने एक सही जगह देख वहाँ उनको रख कर जोर से वापस भागे ताकि वो हमारा पीछा ना करें। हम जब वापस आ रहे तो चाचू हमे मिले "कहाँ भाग रहे हो तुम दोनों" हमे देख उन्होंने पूछा और हमने सारा किस्सा कह दिया "और तुमको वो बच्चे रखने हैं" चाचू ने दीदी से पुछा और दीदी ने हाँ मे सर हिला दिया "ठीक है तुम दोनों घर जाओ" हम घर आ गये फिर हमने चैन की सांस ली इस बार दीदी बस शांत थी और मम्मी बहुत खुश पर ये सब ऐसे खत्म नहीं होने वाला था रात को पापा और चाचू कार्टून बॉक्स घर पर ले कर आये उसमे थे बिल्ली के वही बच्चे मैने मम्मी को देखा और वो वहीँ बैठ गयीं पापा उनको लेकर अंदर रूम मे ले गए और फिर वो दोनों कुछ देर बाद बाहर आये और मम्मी बोली "ठीक है रख लो इनको" "मम्मी अपशगुन सोने की बिल्ली" मै जैसे ही ये बोलै चाचू ने पीछे से मेरे सर पर टपली मारी।

तो अब हमारे घर तीन नए सदस्य थे जया, रेखा, और सुषमा मम्मी ने तीनों के नाम रखे। तब से वो बिल्लियाँ हमारे घर पर रह रहीं हैं और आज तक अपशगुन या उसका कोई रिश्तेदार हमारे घर नहीं आया हां सुषमा के पैर ख़राब होने की वजह से वो बहुत बीमार रहने लगी थी और दिसंबर 2013 मे वो मर गयी उसका सबसे ज्यादा दुःख अब मम्मी को हो रहा था लेकिन अभी तक मेरी कंजूस मम्मी ने सोने की बिल्ली दान नहीं की.

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